
कोरोनावायरस संक्रमण के लगातार बढ़ते केसों के कारण आर्थिक गतिविधियों और परिवहन सेवाओं पर असर पड़ रहा है। इसके चलते अगस्त महीने में देश में तेल की मांग कम रही है। सरकारी डाटा के मुताबिक, अगस्त में इस बार अप्रैल से अब तक किसी महीने में सबसे कम खपत दर्ज की गई है।
14.39 मिलियन टन तेल की बिक्री
पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल (पीपीएसी) के मुताबिक, अगस्त 2020 में 14.39 मिलियन टन रिफाइंड फ्यूल की बिक्री हुई है। यह एक साल पहले की समान अवधि से 16 फीसदी कम है। तेल की बिक्री में साल-दर-साल के आधार पर अगस्त में लगातार छठे साल गिरावट रही है। सामान्य तौर पर रिफाइंड फ्यूल की बिक्री को तेल की मांग का संकेत माना जाता है।
जुलाई के मुकाबले 7 फीसदी कम बिक्री
पेट्रोलियम एंड नेचुरल गैस मंत्रालय के अधीन पीपीएसी के डाटा के मुताबिक, जुलाई के मुकाबले अगस्त में रिफाइंड फ्यूल की बिक्री 7 फीसदी कम रही है। अप्रैल से अब तक मासिक आधार पर यह सबसे बड़ी गिरावट है। एनर्जी जानकारों का अनुमान है कि 2020 की चौथी तिमाही में देश में तेल की मांग 0.43 मिलियन बैरल प्रतिदिन के आसपास बनी रहेगी।
डीजल में बिक्री में 12 फीसदी की गिरावट
इकोनॉमिक ग्रोथ के प्रमुख पैरामीटर और कुल रिफाइंड फ्यूल बिक्री में 40 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाले डीजल की खपत में अगस्त में 12 फीसदी की गिरावट रही है। अगस्त में 4.85 मिलियन टन डीजल की बिक्री हुई है। जुलाई में 5.51 मिलियन टन डीजल की बिक्री हुई थी। वार्षिक आधार पर अगस्त में डीजल की बिक्री में 20.8 फीसदी की गिरावट रही है। डीजल की मासिक बिक्री में यह गिरावट इकोनॉमिक और आर्थिक गतिविधियों में ठहराव को दर्शाती है।
पेट्रोल की बिक्री 5.3 फीसदी बढ़ी
अगस्त महीने में गैसोलीन या पेट्रोल की बिक्री 5.3 फीसदी बढ़कर 2.38 मिलियन टन रही है। जुलाई में 2.26 मिलियन टन पेट्रोल की बिक्री हुई थी। सार्वजनिक परिवहन के बजाए निजी वाहनों का इस्तेमाल बढ़ने के कारण अगस्त में पेट्रोल की बिक्री में इजाफा हुआ है। हालांकि, वार्षिक आधार पर अगस्त में पेट्रोल की बिक्री में 7.4 फीसदी की गिरावट रही है। मासिक आधार पर नेफ्था की बिक्री में 16.4 फीसदी और बिटुमिन की बिक्री में 18 फीसदी की गिरावट रही है।
44.63 लाख पर पहुंचे कोरोना संक्रमण के मामले
देश में कोरोना संक्रमण के मामलों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। अब तक कोरोना संक्रमण के कुल मामलों की संख्या 44.63 लाख हो गई है। हालांकि, इसमें से 35.69 लाख लोग ठीक हो चुके हैं। देश में इस समय कोरोना के 9.18 लाख एक्टिव मामले हैं।
पहली तिमाही में जीडीपी में 23.9 फीसदी की गिरावट
कोरोना संक्रमण का देश की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ रहा है। संक्रमण को रोकने के लिए मार्च से लगाए गए देशव्यापी लॉकडाउन के कारण निजी निवेश, कंज्यूमर खर्च और निर्यात बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। इस कारण चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून तिमाही) में जीडीपी ग्रोथ में 23.9 फीसदी की गिरावट रही है।
चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था में 11.8% गिरावट रहने का अनुमान
रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च और फिच ने वित्त वर्ष 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 11.8 फीसदी की गिरावट रहने का अनुमान जताया है। वहीं चालू तिमाही में 11.9 फीसदी गिरावट रहने की बात कही है। गुजरात, असम और ओडिशा समेत कई राज्यों में बाढ़ के कारण जीवन प्रभावित रहने और इंडस्ट्रियल-कंस्ट्रक्शन गतिविधियों के ठप रहने से भी अर्थव्यवस्था को नुकसान की बात कही गई है।
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