टीसीएस, इंफोसिस, एचसीएल और विप्रो के कुल मार्केट कैप से ज्यादा है आरआईएल का एम कैप, निफ्टी 50 कंपनी के आधे के बराबर है रिलायंस इंडस्ट्रीज
मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज की शेयर बाजार में बादशाहत लगातार बढ़ती जा रही है। रिलायंस इंडस्ट्रीज और इसके राइट्स इश्यू रिलायंस पीपी के मार्केट कैपिटलाइजेशन को मिला दें तो यह कई रिकॉर्ड तोड़ता है। इसका मार्केट कैप टीसीएस, इंफोसिस, एचसीएल और विप्रो के कुल एमकैप से ज्यादा है। निफ्टी 50 कंपनियों के आधे के बराबर है।
बुधवार को आरआईएल का शेयर निफ्टी पर 2,369 रुपए पर पहुंच गया। इसके पार्शियली पेड (पीपी) का शेयर 1,470 रुपए पर पहुंच गया। दोनों का यह सर्वोच्च स्तर है।
आरआईएल का एम कैप निफ्टी पर 14.85 लाख करोड़ रुपए
बुधवार को रिलायंस इंडस्ट्रीज का निफ्टी में मार्केट कैप 14.85 लाख करोड़ रुपए रहा, जबकि इसके पीपी शेयर का मार्केट कैप 62 हजार करोड़ रुपए पहुंच गया। इस तरह से दोनों का मार्केट कैप 15.47 लाख करोड़ रुपए हो गया। निफ्टी के बैंक इंडेक्स का कुल मार्केट कैप 11.95 लाख करोड़ रुपए है। यानी केवल आरआईएल का ही मार्केट कैप देखें तो वह निफ्टी बैंक से ज्यादा है।
निफ्टी -50 कंपनियों का एम कैप आरआईएल को छोड़कर 34 लाख करोड़
निफ्टी 50 कंपनियों का मार्केट कैप 48.96 लाख करोड़ रुपए है। इसमें आरआईएल और उसके पीपी का मार्केट कैप निकाल दें तो कुल मार्केट कैप 34 लाख करोड़ रुपए के करीब हो जाता है। ऐसे में आरआईएल और उसके पीपी शेयर का मार्केट कैप 15.47 लाख करोड़ रुपए हो जाता है। यानी यह निफ्टी 50 कंपनियों के कुल बाजार पूंजीकरण (एमकैप) की तुलना में करीबन आधा है।
निफ्टी नेक्स्ट 50 की 40 कंपनियों से ज्यादा आरआआईएल का एम कैप
इसी तरह अगर निफ्टी नेक्स्ट 50 की 40 कंपनियों के मार्केट कैपिटलाइजेशन को देखें तो इससे ज्यादा रिलायंस का मार्केट कैप है। निफ्टी नेक्स्ट 50 की 40 कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण 15.40 लाख करोड़ रुपए है। जबकि आरआईएल और इसके पीपी का मार्केट कैप 15.47 लाख करोड़ रुपए है। यही नहीं, देश की दिग्गज तीन आईटी कंपनियों के भी बाजार पूंजीकरण को मिला दें तो भी रिलायंस उन कंपनियों से आगे है।
टीसीएस, विप्रो और इंफोसिस से भी आगे आरआईएल
उदाहरण के तौर पर बुधवार को निफ्टी पर टाटा समूह की आईटी कंपनी और देश में मार्केट कैप के लिहाज से दूसरी बड़ी कंपनी टीसीएस का एम कैप 9.33 लाख करोड़ रुपए रहा है। दूसरी आईटी कंपनी इंफोसिस का 4.21 लाख करोड़ रुपए और विप्रो का 1.76 लाख करोड़ रुपए मार्केट कैप रहा है। इन सभी का बाजार पूंजीकरण 15.30 लाख करोड़ रुपए रहा है। इनसे 10 हजार करोड़ रुपए ज्यादा रिलायंस और पीपी का एम कैप है।
रिलायंस पीपी अकेले टाटा मोटर्स और टाटा स्टील से आगे
रिलायंस इंडस्ट्रीज को अलग कर दें तो भी रिलायंस पीपी ने अकेले रिकॉर्ड बनाया है। इसका मार्केट कैप निफ्टी पर 62 हजार करोड़ रुपए पर पहुंच गया। जबकि निफ्टी की दिग्गज कंपनियों को देखें तो उनसे ज्यादा इसका मार्केट कैप है। उदाहरण के तौर पर टाटा मोटर्स का बाजार पूंजीकरण 47,700 करोड़ रुपए रहा है। टाटा स्टील का मार्केट कैप 45,777 करोड़ रुपए रहा है।
जनवरी से अब तक शेयरों में 55 प्रतिशत की बढ़त
इस साल जनवरी से लेकर अब तक रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयरों में करीबन 55 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। हालांकि मार्च की तुलना में यह 1.56 गुना बढ़ा है। उस समय से तुलना करें तो देश में कुल लिस्टेड 83 सरकारी कंपनियों के मार्केट कैप से अब रिलायंस आगे निकल गई है। इन सभी का मार्केट कैप 15.30 लाख करोड़ रुपए है जबकि रिलायंस और पीपी के शेयरों का मार्केट कैप 15.40 लाख करोड़ रुपए है।
इस साल के शुरू में सरकारी कंपनियों का मार्केट कैप 19 लाख करोड़ रुपए था जबकि आरआईएल का मार्केट कैप महज 9.6 लाख करोड़ रुपए था।
बीएसई पर सरकारी कंपनियों से ज्यादा एम कैप रिलायंस का
हालांकि बीएसई पर अकेले रिलायंस का मार्केट कैप इन सरकारी कंपनियों से ज्यादा है। बीएसई के आधार पर रिलायंस का शेयर अकेले ही 15.77 लाख करोड़ से ज्यादा है। अगर पीपी का मार्केट कैप मिला दें तो कुल वैल्यूएशन 16.30 लाख करोड़ से ज्यादा हो जाएगा। बुधवार को बीएसई पर आरआईएल का शेयर 2,368 रुपए के साथ अब तक के सर्वोच्च स्तर पर कारोबार कर रहा था। बाजार में कुल लिस्टेड कंपनियों की तुलना में रिलायंस का मार्केट कैप इस समय 9.5 प्रतिशत के करीब है।
करीबन 10 सालों तक अंडर परफार्म रहा है आरआईएल का शेयर
वैसे रिलायंस इंडस्ट्रीज का शेयर इस समय भले निवेशकों को लाभ दे रहा है, लेकिन साल 2007 से लेकर 2019 तक इसके शेयर ने अंडर परफार्म किया है। यानी इसका शेयर 800 से 1100 रुपए के बीच ही चलता रहा है। पर जियो टेलीकॉम में हिस्सेदारी बिकने के बाद इस शेयर ने हर हफ्ते नया स्तर बनाया है। अब रिटेल में हिस्सेदारी बिकने से यह नया स्तर बना रहा है। इसके करीब में जो कंपनी है वह टीसीएस है। इसका एम कैप अभी भी करीबन 7 लाख करोड़ पीछे है।
देश का दिग्गज बैंक एसबीआई भले ही 40 लाख करोड़ रुपए के असेट्स वाला बैंक है, पर मार्केट कैप में वह अभी भी 1.80 लाख करोड़ रुपए पर है।
बीएसई की बढ़त में सबसे ज्यादा योगदान
वैसे अगर बीएसई सेंसेक्स की 23 मार्च से बढ़त को देखें तो पता चलता है कि अकेले रिलायंस इंडस्ट्रीज का इस बढ़त में करीब 43 प्रतिशत का योगदान है। दुनिया के प्रमुख अमेरिकी बाजार में देखें तो सबसे बड़ी कंपनी एपल का योगदान 11 प्रतिशत ही रहा है। फेसबुक, गूगल, नेटफ्लिक्स और अमेजन का योगदान 22 प्रतिशत रहा है। एक साल पहले सेंसेक्स में आरआईएल का वेटेज 10 प्रतिशत हुआ करता था। अब यह 17 प्रतिशत हो गया है।
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