नई हाउसिंग परियोजनाओं की सीमित लांचिंग के बीच रिहाइशी मकानों की बिक्री और आपूर्ति के अनुपात में सुधार दिखने लगा है। उद्योग संगठन फिक्की और एनारॉक की संयुक्त रिपोर्ट इंडियन हाउसिंग सेक्टर : डिसरप्टेड, ट्रांसफॉर्म्ड एंड रिकवरिंग के मुताबिक रिहाइशी मकानों की बिक्री और आपूर्ति का अनुपात सुधरकर 1.36 हो गया है, जो 2014 में 0.63 था। इसका मतलब यह है कि अभी हर 100 रिहाइशी मकानों की नई लांचिंग पर 136 मकान बिक रहे हैं, जबकि 2014 में हर 100 नए रिहाइशी मकानों की लांचिंग पर सिर्फ 63 मकान ही बिक रहे थे। शुक्रवार को 14वें सालाना फिक्की रियल एस्टेट सम्मेलन 2020 में यह रिपोर्ट जारी की गई।
मिड इनकम होम्स की अफोर्डेबिलिटी 27% पर पहुंचने का अनुमान
एनारॉक प्रोपर्टी कंसल्टेंट्स के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा कि रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि कारोबारी साल 2021 में मिड इनकम होम्स की अफोर्डेबिलिटी अपने लोएस्ट-बेस्ट 27 फीसदी पर पहुंच जाएगी। कारोबारी साल 2012 में 53 फीसदी पर थी तब से इसमें हर साल गिरावट दर्ज की जा रही है। यहां अफोर्डेबिलिटी का मतलब है होम लोन पेमेंट और इनकम का अनुपात।
2012 से 2019 के बीच रिहाइशी प्रॉपर्टी का प्राइस सालाना औसत 3% बढ़ा
रिपोर्ट के मुताबिक टॉप 7 शहरों में रिहाइशी प्रॉपर्टी का वेटेड एवरेज प्राइस 2012 से 2019 के बीच हर साल महज 3 फीसदी की दर से बढ़ा है। यह महंगाई दर और इनकम ग्रोथ रेट के मुकाबले काफी कम है। पुरी ने कहा कि निर्माणाधीन रियल एस्टेट परियोजनाओं का मूल्य 2009 के 94 अरब डॉलर से 2.6 गुना बढ़कर 2020 की पहली छमाही में 243 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। इस दौरान रेशिडेंशियल रियल एस्टेट की हिस्सेदारी 49 फीसदी से बढ़कर 88 फीसदी पर पहुंच गया है। इससे रेशिडेंशियल रियल एस्टेट सेगमेंट में भारी विकास का पता चलता है।
संगठित कंपनियों की प्रॉपर्टी की बिक्री में गिरावट नहीं
रिपोर्ट के मुताबिक कुल प्रॉपर्टी की बिक्री में जहां गिरावट आई है, वहीं संगठित कंपनियों की प्रॉपर्टी की बिक्री में गिरावट नहीं आई है। इसका कारण यह है कि होम बायर्स ब्रांडेड प्रॉपर्टी की खरीदारी में ज्यादा रुचि ले रहे हैं, भले ही उन प्रॉपर्टी की कीमत ज्यादा हो।
सोशल डिस्टेंसिंग के लिए विला और रो हाउसेज की मांग बढ़ी
कोरोनावायरस महामारी के दौरान वर्क फ्रॉम होम और ऑनलाइन एजुकेशन के नए चलन के कारण रेशिडेंशियल रियल एस्टेट में कुछ नए चलन देखने को मिल रहे हैं। उदाहरण के तौर पर 2.5 बीएचके और 3.5 बीएचके का चलन बढ़ा है। सोशल डिस्टेंसिंग के लिए विला और रो हाउसेज की मांग बढ़ी है। रिवर्स माइग्रेशन के कारण टियर-2 और टियर-3 शहरों में हाउसिंग की जरूरत बढ़ी है।
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