कोरोनावायरस से ग्रस्त एशिया की अर्थव्यवस्था 1960 के बाद पहली बार निगेटिव ग्रोथ में रहेगी, रिकवरी के बावजूद आउटपुट का अनुमान कम रहेगा
कोरोनावायरस से पस्त एशिया की अर्थव्यवस्था का विकास 1960 के बाद पहली बार सिकुड़ जाएगा। यानी यह निगेटिव ग्रोथ में रहेगा। हालांकि ग्रोथ में होने वाली रिकवरी के बावजूद, अगले साल होने वाले उत्पादन का स्तर कोरोना के पहले के अनुमानों से नीचे रहेगा।
जीडीपी में 0.7 प्रतिशत की गिरावट आएगी
मनीला स्थित बैंक ने मंगलवार को एक रिपोर्ट में कहा कि इस क्षेत्र के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में साल 2020 में 0.7% की गिरावट आएगी। यह जून के 0.1% की वृद्धि के अनुमान से नीचे है। एडीबी के मुख्य अर्थशास्त्री यासुयुकी सावदा ने लाइव स्ट्रीम ब्रीफिंग में कहा कि साल 1962 के बाद पहली बार अर्थव्यवस्था में इतनी बड़ी गिरावट आएगी।
कोविड का खतरा अभी भी बना हुआ है
सावडा ने कहा कि कोविड-19 महामारी से उत्पन्न आर्थिक खतरा अभी भी बना हुआ है। उन्होंने कहा कि विकासशील एशिया में मंदी पिछले संकटों की तुलना में अधिक है। क्योंकि इस क्षेत्र में तीन चौथाई अर्थव्यवस्थाएं इस साल सिकुड़ सकती हैं। एडीबी के अनुसार, चीन इस वर्ष 1.8% की दर से विस्तार कर सकता है जो जून के अनुमान के अनुसार ही है। क्योंकि यहां सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों को सफलतापूर्वक पूरा किया जा रहा है। इससे ग्रोथ को गति पकड़ने में आसानी होगी। इसका विकास 2021 में 7.7 तक हो सकता है जबकि इसके बारे में पूर्वानुमान 7.4% लगाया गया है।
भारत में निजी खर्च हुआ ठप
एडीबी ने कहा कि भारत में जहां लॉकडाउन ने निजी खर्च को ठप कर दिया है, वहीं इस साल जीडीपी 9% कम हो जाएगी। यह जून के पूर्वानुमान 4% से काफी नीचे है। फिलीपिंस और थाईलैंड के लिए बड़े डाउनग्रेड भी थे। इनकी जीडीपी अब क्रमशः 7.3% और 8% की दर से गिर सकती है। सावदा ने कहा कि डाउनग्रेड ने इस बात को ध्यान में रखा कि महामारी शुरू में उम्मीद से अधिक गंभीर रही है। इसके बाद, हमारा यह मानना है कि हेल्थ रिस्क इस साल के भीतर कम हो जाएगा।
राजकोषीय प्रोत्साहन से झटकों को सहने में मदद मिली है
सावदा ने कहा कि बड़े पैमाने पर दिए गए राजकोषीय प्रोत्साहन ने झटकों को सहने में मदद की है और खुशहाली लौटने लगी है। सावदा ने कहा कि एशिया में 2021 में वृद्धि 6.8% तक होगी जो आगे खुशहाली लाएगी। परंतु यह ग्रोथ भी कोरोना महामारी के पहले अनुमानित ग्रोथ से काफी कम है। यह इस तरफ इशारा करता है कि रिकवरी आंशिक रूप से होगी न कि पूर्ण रूप से।
महामारी इस साल सबसे बड़ा निगेटिव रिस्क फैक्टर है
उन्होंने कहा कि वायरस की रोकथाम विकास के परफॉर्मेंस के अनुसार हुआ है। महामारी इस साल सबसे बड़ा निगेटिव रिस्क फैक्टर बनी हुई है। सावदा ने कहा कि महामारी के दौर में अमेरिका-चीन के बीच व्यापार तनाव और टेक्नोलॉजी संघर्ष भी ग्रोथ में रुकावट पैदा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जीवन और आजीविका की रक्षा करने और काम पर सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने और व्यवसायों को फिर से शुरू करने पर केंद्रित नीतियां इस रीजन की रिकवरी सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
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